अपने करमों का फल अवश्य मिलता हैं
बहोत समय पहले की बात हैं। गांव में एक किसान रहा करता था। जिनके माँ - बाप पत्नी और दो बच्चे थे। वो रोजाना मजदूरी किया करते थे। उन्हें महीना में कई बार काम भी मिल नहीं पता था। उनका इस्थिति बहोत दयनीय था। वो किसी तरह अपने परिवार का गुजारा बड़ी मुश्किल से कर पा रहे थे । लेकिन इन सब के बावजूद उनमे इंसानियत जिन्दा था। वे अक्सर लोगों को भला ही सोचते थे। हमेशा लोगों को निष्ठां पूर्वक सेवा करने का भावना रखते थे। एक बार की बात हैं जब वो काम करके आ रहे थे, उसी समय रास्ते में एक वृद्ध वयक्ति दिखाई दिए, जो ठण्ड से काफी कांप रहे थे। उसी रास्ते से काफी लोग गुजर रहे थे, लेकिन कोई भी उनके और ध्यान नहीं दें रहे थे। लेकिन किसान ने ऐसा नहीं किया। वे रास्ते में आते वक्त उसे देखते ही रुके और बिना कुछ सोचे समझें उनसे बात करने लगे। बहोत विनती करने के बाद उन्हें अपने साथ घर ले आये। और उन्हें अपना पत्नी के हाथों से बना गर्म खाना खिलाये फिर उन्हें रात भर अपने पास ही सुलाए। सुबह उठकर वे नास्ता करने के बाद जाने लगे, जाते जाते बोले की बेटा मैंने पूरी दुनिआ घूमी हैं लेकिन आपके जैसा विचार का वयक्ति बह...