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संघर्ष ही सफलता का मूल मंत्र है

एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक किसान रहता था। वह अपने ईष्ट देवता का बड़ा भक्त था। दिन हो या रात, वह हर समय अपने भगवान को याद करता रहता था। परंतु उसका जीवन बहुत कष्टमय था। जब भी वह खेतों में फसल बोता, किसी न किसी कारण से वह नष्ट हो जाती — कभी अधिक वर्षा से, कभी अधिक धूप से, तो कभी ठंड से। कई बार मेहनत के बावजूद फसल की उपज बहुत कम होती। धीरे-धीरे किसान के मन में भगवान के प्रति शिकायतें बढ़ने लगीं। एक दिन उसने दुखी होकर कहा — “हे भगवान ! आपको यहाँ के वातावरण का कुछ पता ही नहीं। आप कभी ज़रूरत से ज़्यादा वर्षा कर देते हैं, तो कभी तेज़ धूप या ठंड भेज देते हैं। इस कारण हमारी फसलें खराब हो जाती हैं और हमारा परिवार भूखा रह जाता है।” किसान के मन की व्यथा सुनकर भगवान उसके सामने प्रकट हुए और बोले — “वत्स! आज से मौसम पर तुम्हारा अधिकार रहेगा। जब चाहो वर्षा हो, जब चाहो धूप या ठंड — सब कुछ तुम्हारे अनुसार होगा।” यह सुनकर किसान बहुत खुश हुआ। अब वह अपने मन मुताबिक मौसम बदलवाने लगा। जहाँ ज़रूरत लगी वहाँ वर्षा करवाई, जहाँ धूप चाहिए थी वहाँ धूप दिलवाई। उसके खेतों में इस बार फसलें खू...